Tuesday 2 July 2013

"मैं लेखक छोटा हूं, पर संकट बड़ा हूं."


"हमारी हज़ारों साल की महान संस्कृति है और यह समन्वित संस्कृति, यानी यह संस्कृति द्रविड़, आर्य, ग्रीक, मुस्लिम आदि संस्कृतियों के समन्वय से बनी है. इसलिए स्वाभाविक है कि महान समन्वित संस्कृति वाले भारतीय व्यापारी इलायची में कचरे का समन्वय करेंगे, गेहूं में मिटटी का, शक्कर में सफ़ेद पत्थर का, मक्खन में स्याही सोख काग़ज़ का. जो विदेशी हमारे माल में "मिलावट" की शिकायत करते हैं, वे नहीं जानते कि यह "मिलावट" नहीं "समन्वय" है जो हमारी संस्कृति की आत्मा है. कोई विदेशी शुद्ध माल मांगकर भारतीय व्यापारी का अपमान न करे."

"अगर दो साइकिल सवार सड़क पर एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़ें तो उनके लिए यह लाज़िमी हो जाता है के वे उठकर सबसे पहले लडें, और फिर धूल झाडें. यह पद्धति इतनी मान्यता प्राप्त कर चुकी है कि गिरकर न लड़ने वाला साइकिल सवार "बुज़दिल" माना जाता है, "क्षमाशील संत" नहीं."

"जब विद्यार्थी कहता है कि उसे "पंद्रह दिए", उसका अर्थ होता है कि उसे"पंद्रह नंबर "मिले" नहीं हैं, परीक्षक द्वारा "दिए गए" हैं. मिलने के लिए तो उसे पूरे नंबर मिलने थे. पर "पंद्रह नंबर" जो उसके नाम पर चढ़े हैं, सो सब परीक्षक का अपराध है. उसने उत्तर तो ऐसे लिखे थे कि उसे शत-प्रतिशत नंबर मिलने थे, पर परीक्षक बेईमान हैं जो इतने कम नंबर देते हैं. इसीलिए, कम नंबर पाने वाला विद्यार्थी "मिले" की जगह "दिए" का प्रयोग करता है.''

"बेचारा आदमी वह होता है जो समझता है कि मेरे कारण कोई छिपकली भी कीड़ा नहीं पकड़ रही है. बेचारा आदमी वह होता है, जो समझता है सब मेरे दुश्मन हैं, पर सही यह है कि कोई उस पर ध्यान ही नहीं देता. बेचारा आदमी वह होता है, जो समझता है कि मैं वैचारिक क्रांति कर रहा हूं, और लोग उससे सिर्फ़ मनोरंजन करते हैं. वह आदमी सचमुच बड़ा दयनीय होता है जो अपने को केंद्र बना कर सोचता है."


-हरिशंकर परसाई

1 comment:

  1. परसाई के तूणीर से बड़े तीखे तीर निकाले हैं आप ने . इसमें से आख़िरी तीर तो अमोघ है .

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