Monday, 8 July 2013

दोनों की नियति थी एक ही

तीर को आता देख अपनी ओर
फुदकी चिड़िया और
जा छुपी झुरमुट में

चक्राकार घूमती मछली को
नहीं थी उपलब्ध
यह सुविधा. वरना संपन्न नहीं हो पाता
स्वयंवर द्रौपदी का. मछली कर पाती
अनुसरण चिड़िया का
तो तय मानें बच गई होती द्रौपदी
पांच पतियों द्वारा दिए गए
जख्मों की आजीवन-टीस से.

मछली की नियति बन गई
नियति पांचाली की.

-मोहन श्रोत्रिय

1 comment:

  1. अहा...
    बेहतरीन......

    सादर
    अनु

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