Monday 28 October 2013

रिश्ते, नेहरू और पटेल के



मोदी जो मन में आ रहा है वो बोले जा रहा है और उसके हर झूठ को बीजेपी के चेले चपाटे,आरएसएस के नेता और शहरी युवा सच मान रहे हैं.है यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है देश के लिए की लोगों ने ''विकास'' नामा की अफ़ीम चढ़ा रखी है और वो कुछ सुनना नहीं चाहते बस जो मोदी बकवास करे वो ही सच मान लेने चाहते हैं

कल उसने जो बात कही थी की सरदार वल्लभभाई पटेल की अंत्येष्टि में पंडित जवाहर लाल नेहरू नहीं शामिल हुए थे यह सरासर सत्य का मुखौल उडाना है और सफ़ेद झूठ है अब पता नहीं मोदी पूरे देश की जनता को आरएसएस से जुड़ा हुआ समझते हैं क्या ?? या अपने आप को बहुत होशियार,अक्लमंद ?? या दूसरों को बेवक़ूफ़ ???? यह जाग जाहिर है की कुछ राजनैतिक मसलों पर सरदार वल्लभभाई पटेल के पंडित जवाहर लाल नेहरू से मतभेद थे लेकिन दोनों की नज़रों में एक दूसरे के लिए बहुत सम्मान और आदर था


दो किस्से मैं आप लोगों से शेयर कर रहा हूं जिन्हें बताना बहुत ज़रूरी हैं ताकि मोदी के सच्चाई लोगों के सामने लाये जा सके और उसके झूठ से लोगों को अवगत कराया जा सके------------------------------------------

अपने जीवन के अंतिम दिनों में सरदार वल्लभभाई पटेल बीमार पडे तो पंडित जवाहर लाल नेहरू सरदार वल्लभभाई पटेल को देखने गए तब सरदार वल्लभभाई पटेल ने पंडित जवाहर लाल नेहरु से कहा था " जवाहर तुम मुझ पर विश्वास नहीं करते" पंडित जवाहर लाल नेहरू का भी आत्मविश्वास हिला हुआ था। वह व्यथित मन से बोले, 'मेरा खुद पर भी यकीन नहीं रहा।'

गांधीजी की हत्या के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल ने सार्वजनिक मंच से पंडित जवाहर लाल नेहरू को बार बार अपना 'नेता' बताया था और पंडित जवाहर लाल नेहरू को अपने पूरे सहयोग का आश्वासन भी दिया था

१४ नवंबर १९४८ को पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा थ --"गांधीजी ने जवाहर को अपना उत्तराधिकारी बनाया था जब सेगांधीजी की हत्या हुई तभी से हमें यह अहसास हुआ कि गांधीजी का फ़ैसला सही था" सरदार वल्लभभाई पटेल की यह बात सुनकर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा ---"सरदार हमेशा से मेरे लिए एक मज़बूती का स्तंभ रहे हैं मैं उनके प्रेम और सहयोग के बिना मैं यह देश नहीं चला पाऊंगा"
इसे यह साबित होता है की तमाम दूरियों, मतभेदों के बाद भी दोनों के बीच एक रागात्मक रिश्ता था और दोनों ही कांग्रेस की संस्कृति में रचे बसे थे,दोनों को जो चीज़ जोडती थी वह बहुत अधिक मज़बूत थी जो दोनों को अलग करती थी पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल के बीच मतभेद किन मसलों पर थे और क्या थी उन मुद्दों की यह पृष्ठभूमि यह भी जानना बहुत ज़रूरी है इस पर फिर कभी पोस्ट करूंगा

मोदी को पूरा अधिकार है की वोह जो मन में आये वो बोले क्योंकि अपने देश में ''लोकतंत्र'' है लेकिन शायद आरएसएस का पुराना प्रचारक और बयान बहादुर यह क्यों बार बार भूल जाता है की कुछ सच ऐसे होते हैं जो हमेशा सच ही रहेंगे कोई कितना भी झूठ बोले !


-अज़हर खान