Saturday, 13 July 2013

‎आ‬ जाओ, 2014! जल्दी आ जाओ, कि यह जुनूनी शोर तो थमे !

यह शोर देश को अराजकता की ओर ले जा रहा है. किसी भी तरह के "भ्रष्ट आचरण" को मुद्दे के रूप में सामाजिक विमर्श से बहिष्कृत कर रहा है. जिस मंदिर के पक्ष में अयोध्या-फ़ैज़ाबाद के मतदाता ने एक बार को छोड़कर कभी उत्साह नहीं दिखाया, उसे फिर से जीवित कर रहा है. अयोध्या का छोटा दुकानदार, दिहाड़ी पर काम करने वाला मज़दूर, फूलों और पूजा की वस्तुओं की गुमटी चलाने वाला ग़रीब - सभी बेहद आशंकित हैं, आतंकित हैं. कहते हैं, हर बार बाहर के लोगों ने यहां आकर हमारा जीना मुहाल किया है,
रोज़ की घर चलाने वाली कमाई को चौपट किया है.

दुर्भाग्य है कि अन्य राजनीतिक पार्टियां अपना एजेंडा सामने लाने की बजाय हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे के इर्द-गिर्द घूम रही हैं. सिर्फ़ प्रतिक्रिया करने से हालात नहीं बदल सकते, यह तय लगता है !

पहले मन बंटते हैं, और फिर सामाजिक समरसता पर गहरी चोट करते हैं. युद्ध की-सी मानसिकता निर्मित की जा रही है, जिसका परिणाम सुखद नहीं हो सकता, कभी भी. वैकल्पिक राजनीति की दुहाई देने वालो, जागो ! जागो, कि बहुत सो लिए ! जागो, कि यह देश कठिन समय में सोने वालों को माफ़ नहीं करेगा ! जागो, कि पानी सिर के ऊपर से गुजरने ही वाला है !

-मोहनश्रोत्रिय

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