Saturday, 17 August 2013

देखो, उधर !



चट्टानी संकुल के पीछे
दिखा था जैसे सपने में
हरा-भरा विस्तीर्ण वन
जिसमें बहुतायत है
सघन फलदार वृक्षों की.

खोजना-बनाना है
वहां तक पहुंचने का रास्ता !

किसी को तो करनी ही
होती है पहल !

-मोहन श्रोत्रिय

1 comment:

  1. सारगर्भित भाव!
    ***
    सर, शिक्षक दिवस पर आपको चरणस्पर्श प्रणाम!

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