पहले एक ने कहा, मेंढक !
जवाब में सुना, कॉकरोच !
मनभावन राजनीतिक विमर्श है न यह?
कौन कहता है कि लेखक प्रभाव नहीं डालते राजनीति पर !
अभी कुछ दिन पहले ही तो
दो लेखकों ने कुछेक अन्य लेखकों को संज्ञा दी थी
मक्खी, मच्छर, भुनगे और गधे की !
नाम तो और भी धरे थे
लेखकों ने
वे ज़्यादा प्रतिभाशाली और मौलिक जो होते हैं.
अच्छा है राजनीतिबाज़
पढ़ रहे हैं लेखकों को
और सीख भी रहे हैं उनसे !
-मोहन श्रोत्रिय
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