Monday, 2 December 2013

बात मेट्रो के डिब्बों के निर्माण की ही नहीं है !



इतिहास ग़लत ढंग से
पढाया जाता रहा है अब तक
मसलन लाल किला
दिल्ली का हो या आगरा का
गुजरातियों ने ही बनवाया था.
गोलकुंडा का किला भी
और चार मीनार भी.

टीपू सुल्तान भी पैदा हुआ था
गुजरात के एक छोटे से गांव में
महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज
और शेरशाह सूरी की तरह ही.

संसद भवन के बनाने में
जो भी श्रम-बल लगा था
यानी सभी राज-मज़दूर और मिस्त्री तक
आए थे गुजरात से ही.

चित्रकला, संगीत और स्थापत्य का
उद्गम हुआ था द्वारिका में.
सबसे पहले व्यापारी इस देश के
और कहां के हो सकते थे
गुजरात के सिवा?

गांधी गुजरात के थे
सरदार पटेल भी.
जैसे आज के अंबानी, अडानी, टाटा
और जो भी नाम लें
सभी हैं गुजरात के.

क़ायदे से इस देश का नाम
होना चाहिए महा गुजरात
चौंकिए मत
यह करके रहेंगे हम
चूं-चपड करने की ज़रूरत है नहीं
किसी को भी... क्योंकि
आ गया है दुरुस्त करने का समय
इतिहास को...पूरी तरह से
और हमें पूरा कर लेना है यह काम
नया साल शुरू होने तक हर हाल में !

जो नहीं मानेगा इस इतिहास को
कहने की ज़रूरत नहीं कि वह
अपनी जोखिम पर ही ऐसा करेगा !