Saturday, 18 February 2012

जो भी कहें फुकुयामा के शिष्य

दुनिया भर में फैले
फुकुयामा के शिष्य-समर्थक
जी चाहे जो कहें
नित्य संस्कारित होते मनुष्य
को रोका नहीं जा सकता
पीछे मुड़ कर देखने से. इस क्रिया से
ही पता चलता है कितने आगे आ गए हैं
वहां से जहां से शुरू हुई थी यात्रा.
यात्रा के विभिन्न पड़ावों की प्रतीक हैं
स्मृतियां.
स्मृतियां हिस्सा होती हैं
इतिहास का, और इतिहास उतना ही होता है
व्यक्ति का जितना किसी जाति का
यानि किसी राष्ट्र का. इतिहास की
सही समझ बचा लेती है हमें उसे
दोहराने के लिए अभिशप्त होने से.


स्मृतियां मृत नहीं होतीं
स्पंदित करती हैं बनाती हैं ऊर्जावान
प्रेरित करती हैं आगे बढ़ते रहने को
निरंतर. इसीलिए रिश्ता स्मृतियों का
होता है गहन और सघन
वर्तमान से, और विस्तार होता है भविष्य
वर्तमान का ही.
इतिहास, स्मृतियां, यथार्थ
और स्वप्न का योग बन जाता है
"काल" का समग्र
अविभाज्य और अविखंडनीय.


स्मृतियों को सहेजना अतीत से जुड़ी
क्रिया नहीं
यह वर्तमान को समृद्ध बनाने
और भविष्य को, अगली पीढ़ी को,
विरासत के रूप में सौंपने से
जुड़ी क्रिया है. स्मृतियों का ताल्लुक़
जड़ों से है, और जड़ें हरी बनी रहनी ही
चाहिए. बिना प्राणयुक्त जड़ों के
पेड़ की शाखों का हरा-भरा रह पाना
कम नहीं है खामखयाली से जिसके तार
जा मिलते हैं शेखचिल्लियों से.


स्मृति-विहीन हैं जो नहीं हो सकती
कोई जगह उनके जीवन में स्वप्न की.
और स्वप्न? इनके बिना गति है ही कहां?
कला साहित्य संस्कृति
ये सब होते हैं निर्मित
छोटे-छोटे निजी और बड़े
सामूहिक स्वप्नों से
भव्य स्वप्नों और स्वप्नद्रष्टाओं को
आदर जो मिलता है
करता है प्रेरित न केवल आज के
सृजनरत लोगों को बनता है
धरोहर आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी.


हम सब यदि जानते हैं अधिक अपने पूर्वजों से
तो इसलिए ही कि बैठे हैं हम उनके कंधों पर.
यह अवस्थिति सुविधाजनक
बना देती है हमारे लिए
आगे-पीछे और इर्द-गिर्द
देख पाने को
यही है भूत-भविष्य और वर्तमान को
एकमेक कर देना.

3 comments:

  1. रिश्ता स्मृतियों का
    होता है गहन और सघन
    वर्तमान से, और विस्तार होता है भविष्य
    वर्तमान का ही.
    इतिहास, स्मृतियां, यथार्थ
    और स्वप्न का योग बन जाता है
    "काल" का समग्र
    अविभाज्य और अविखंडनीय.

    सचमुच... आभार सर!!

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  2. यह कविता अपने जन से अप्रश्नेय संबद्धता रखने वाले कवि की चुनौती है...

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  3. सही समझ बचा लेती है हमें उसे
    दोहराने के लिए अभिशप्त होने से.


    रिश्ता स्मृतियों का
    होता है गहन और सघन
    वर्तमान से, और विस्तार होता है भविष्य
    वर्तमान का ही.

    बहुत बढ़िया

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