tag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post8844623281206503633..comments2023-06-06T09:22:06.996-07:00Comments on सोची-समझी: सरोज कुमार की सात कविताएंमोहन श्रोत्रियhttp://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-54502668157007777562017-08-09T18:43:25.969-07:002017-08-09T18:43:25.969-07:00धन्यवाद कहने आये हैं ,
सरपट बाँधी समा दिखाए हैं |
...धन्यवाद कहने आये हैं ,<br />सरपट बाँधी समा दिखाए हैं |<br />लोगों को लुभाए हैं ,<br />गहराई में गोता लगाए हैं ||-<br />वे फ्रेम में पड़े हैं ,<br />राष्ट्र गीत नहीं गाते हैं |<br />मंचासीन होने को अड़े हैं ,<br />अपने मन से खड़े हैं ||<br />आईने सामने रख बैठते हैं,<br />देर तक दम हिलाते हैं |<br />बाह बार-बार सरकाते हैं ,<br />झट चोंच मार जाते हैं ||<br />मेहनत की रेखाएं हैं ,<br />संप्रभुता की दुआएं है |<br />कुशलता की कलाएं हैं ,<br />अपने मन से टिकाये है ||<br />राखियाँ हाथ में हैं ,<br />बैसाखियाँ साथ में हैं |<br />पाँव में बेड़ियाँ है ,<br />जीभ लपलपाये हैं ||<br />सिलाई मशीन लाये हैं ,<br />चादर फैलाए हैं |<br />लड़की बड़ी हो रही- <br />चुनरी सिलने आये हैं ||sukhmangalhttps://www.blogger.com/profile/03076745453862353480noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-58930584531725811632012-02-28T04:22:33.350-08:002012-02-28T04:22:33.350-08:00सेनापति और राष्ट्रगीत विशेष तौर पर अछ्छी लगीं . ले...सेनापति और राष्ट्रगीत विशेष तौर पर अछ्छी लगीं . लेकिन आरम्भ में उद्दृत अंश सर्वाधिक आकर्षक है . इस कविता को पूरा पढवा दीजिए , प्लीज़.आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-57536360331931977642012-02-24T07:02:30.515-08:002012-02-24T07:02:30.515-08:00आज से पूर्व कभी सरोज कुमार जी की कविताओं से गुजरने...आज से पूर्व कभी सरोज कुमार जी की कविताओं से गुजरने का अवसर नहीं मिला मुझे सातो कविताओँ को ठिठक कर कई-कई बार पढ़ा जितने बार पढ़ा उनका असर और प्रभाव और गाढ़ा होता चला गया कविताओं की कहन इतनी गहराई से अंतर में अपनी जगह बना लेती है ...सचमुच विचारों के ऐसे सजग प्रवाह से गुजरना अद्भुत ही है ... ब्लॉग पर आना सार्थक हो गया सदैव की भांति ...हेमा दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/15580735111999597020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-6974294441052438252012-02-24T07:01:18.357-08:002012-02-24T07:01:18.357-08:00कविताओं में मारक व्यंग है.सरोज कुमार जी की कविताये...कविताओं में मारक व्यंग है.सरोज कुमार जी की कवितायेँ पहली बार पढ़ रहा हूँ. ऐसे अनेक कवि है जो लगातार अच्छा लिख रहे है, पर प्रसिद्ध नहीं है. सरोज कुमार जी के परिचय को देखते हुए तो उन्हें अज्ञात कवि भी नहीं कहा जा सकता है, फिर भी हिंदी कविता के आलोचकों की दृष्टि उन पर क्यों नहीं गई ?Govind mathurhttps://www.blogger.com/profile/10098366639716300732noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-44327635309326890592012-02-24T01:43:35.490-08:002012-02-24T01:43:35.490-08:00मोहन जी सरोज कुमार जी को पढवाने के लिये ह्रदय से आ...मोहन जी सरोज कुमार जी को पढवाने के लिये ह्रदय से आभारी हूँ …………बेहद बेबाक शैली मे साफ़ दिल से भावनाओं को उकेरा है …………हर कविता सोचने को विवश करतीहै और कवि का अन्दाज़ तो सीधा दिल छूता है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-24486053726343297872012-02-24T00:15:26.868-08:002012-02-24T00:15:26.868-08:00तुम्हारी कविताएं
जितनी तुम्हारी हैं, उतनी हमारी भी...तुम्हारी कविताएं<br />जितनी तुम्हारी हैं, उतनी हमारी भी,<br />कविता की कोई<br />मेकमहन रेखा नहीं होती!<br />कविता का समूचा जुगराफ़िया<br />एकमात्र इंसान है -<br />जिसकी संप्रभुता में <br />प्रभुता नहीं प्यार है!<br />वाह!<br />इतना सुन्दर... इतना सत्य... इतना प्रभावशाली!!!<br />कविता को भी मान होगा इस कवि पर!<br />सरोज कुमार जी की कविताओं को साझा करने के लिए आपका हार्दिक आभार...<br />सोची समझी मेरे लिए पसंदीदा पड़ावों में से एक है.<br />सादर!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-7534833225293584832012-02-23T05:47:52.909-08:002012-02-23T05:47:52.909-08:00सरोज कुमार और उनकी कविताओं से परिचित कराने के लिए ...सरोज कुमार और उनकी कविताओं से परिचित कराने के लिए आभार सर!!मनोज पटेलhttps://www.blogger.com/profile/18240856473748797655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-22732936553366254792012-02-23T04:51:31.396-08:002012-02-23T04:51:31.396-08:00कविताएं तो सभी अच्छी हैं लेकिन "लड़की को बड़ी...कविताएं तो सभी अच्छी हैं लेकिन "लड़की को बड़ी मत होने दो" और "सपाट संसार " विशेष तौर पर मुझे पसंद आई...बधाई आपको...रामजी तिवारी https://www.blogger.com/profile/03037493398258910737noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-30807149421032562682012-02-23T00:43:27.613-08:002012-02-23T00:43:27.613-08:00बहुत प्रभावशाली और प्रखर कवितायेँ ! कविता की यह भा...बहुत प्रभावशाली और प्रखर कवितायेँ ! कविता की यह भाषा आदर्श हो सकती है किसी कवि के लिए जो सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हो ! आभार इनकी प्रस्तुति के लिए !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-10595916093530020642012-02-22T23:59:30.099-08:002012-02-22T23:59:30.099-08:00great poetry sir...great poetry sir...Jagjithttps://www.blogger.com/profile/17112954515085366307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-49989748775517037612012-02-22T23:59:08.846-08:002012-02-22T23:59:08.846-08:00great poetry sir...great poetry sir...Jagjithttps://www.blogger.com/profile/17112954515085366307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-37257582517276621732012-02-22T23:17:06.106-08:002012-02-22T23:17:06.106-08:00दंग रह गया हूँ सरोज कुमार जी की इन कविताओं को पढ़कर...दंग रह गया हूँ सरोज कुमार जी की इन कविताओं को पढ़कर। इतनी गहरी संवेदना और एक तीख़ा व्यंग्य लिए ये कविताएं भीतर तक उतरती चली गईं। मुझे नहीं याद आता कि समकालीन हिंदी कविता को पढ़ते हुए मैंने इससे पूर्व कभी सरोज कुमार जी की कविताएं पढ़ीं हों। (इसे मैं अपना दुर्भाग़्य ही मानता हूँ)। यूं तो सभी कविताएं स्पर्श करती हैं लेकिन 'अलंकरण' 'तुम कहीं के भी कवि क्यों न हों','लड़की को बड़ी मत होने दो' और 'सपाट संसार' ने कहीं गहरे छुआ। सरोज कुमार जी ने सही लिखा/कहा कि -<br />कविता की कोई<br />मेकमहन रेखा नहीं होती!<br />कविता का समूचा जुगराफ़िया<br />एकमात्र इंसान है -<br />जिसकी संप्रभुता में <br />प्रभुता नहीं प्यार है!<br /><br />मोहन जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया कि इतनी जानदार और प्रभावकारी कविताएं आपने पढ़वाईं।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-15045321792648209052012-02-22T23:01:31.471-08:002012-02-22T23:01:31.471-08:00वाह, सभी कवितायेँ एक से बढ़कर एक है....भूमिका के अ...वाह, सभी कवितायेँ एक से बढ़कर एक है....भूमिका के अंत में जो पंक्तियाँ आपने उद्धृत की वे इन कविताओं पर सटीक मालूम होती हैं, हर कविता सहज शब्दों में मानवीय संवेदनाओं को उभारती प्रतीत होती है, श्रेष्ठता के दंभ से परे ये कवितायेँ अंतर्मन पर बहुत गहरा असर छोड़ जाती हैं......'अलंकरण' कविता में डिग्री की सार्थकता पर उठाये प्रश्न प्रासंगिक हैं और 'सेनापति' कविता तो गागर में सागर है....सरल शब्दों में आपको सोचते हुए छोड़कर कविता अपना प्रयोजन सिद्ध कर जाती है,..... 'तुम कहीं के भी कवि क्यों न हो' तो सभी लोगों के लिए जो सोचते हैं वे कविता लिख रहे हैं, अनुकरणीय अभिव्यक्ति है, 'लड़की को बड़ी मत होने दो' बहुत ही भावुक कविता है और मैं खुश हूँ कि एक पुरुष ने इन्हें लिखा....साधुवाद, ......इस तरह सभी कवितायेँ बहुत मानीखेज हैं.....सरोज जी को बधाई...उनकी और कवितायेँ पढना चाहूंगी......और बाबा (मोहन सर) को फिर से धन्यवाद हमेशा की तरह ऐसी अच्छी और सार्थक कवितायेँ हम तक पहुँचाने के लिए (शेयर कर रही हूँ, और लोगों को भी इन्हें पढना चाहिए)अंजू शर्माhttps://www.blogger.com/profile/13237713802967242414noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-31020897450925914192012-02-22T22:48:16.565-08:002012-02-22T22:48:16.565-08:00great poetry sir...great poetry sir...Jagjithttps://www.blogger.com/profile/17112954515085366307noreply@blogger.com