tag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post2065094876203020374..comments2023-06-06T09:22:06.996-07:00Comments on सोची-समझी: सवाई सिंह शेखावत की नौ कविताएंमोहन श्रोत्रियhttp://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-78088487021372144152012-02-22T06:35:54.436-08:002012-02-22T06:35:54.436-08:00सवाई सिंह जी की कवितायेँ पढ़ने में चाहे सहज-स...सवाई सिंह जी की कवितायेँ पढ़ने में चाहे सहज-सरल हों, किन्तु कविताओं में गहराई है.निसंदेह वे अपनी पीढ़ी के अच्छे कविओं में से है. राजस्थान की हिंदी कविता के साथ न्याय नहीं हुआ,हिंदी कविता में विजेंद्र, ऋतुराज और नन्द किशोर आचार्य के बाद किसी अन्य कवि की चर्चा नहीं हुई, इसके लिए राजस्थान के आलोचक भी जिम्मेदार है, वे बाहर के चर्चित कवियों की तो चर्चा करते रहते है किन्तु कभी अपने प्रदेश के कविओं की चर्चा नहीं करते है. यदि कभी कोई कवि ये सवाल करता है तो उसे संकीर्ण विचार का माना जाता है.Govind mathurhttps://www.blogger.com/profile/10098366639716300732noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-17884312478650982772012-02-20T19:06:40.956-08:002012-02-20T19:06:40.956-08:00सवाई सिंह शेखावत हमारे महत्वपूर्ण कवि हैं.विविधता ...सवाई सिंह शेखावत हमारे महत्वपूर्ण कवि हैं.विविधता और रंग, विषय में भी तो भाषा में भी ;उनकी ताकत हैं.आशुतोषजी ने एकदम सही लिखा कि"कविताओं में एक सुलझे हुए बुजुर्ग की सादगी , समझदारी और तजर्बे के तासीर है."हाँ..... मैं न थकूं आदमी के होने से...कहता कवि नहीं थकेगा,यह बात उनकी कविता को चाहने वाला पाठक यकीनन जानता हैं.हरीश करमचंदाणीhttps://www.blogger.com/profile/07560678438638512429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-56387288039336072632012-02-20T19:05:55.401-08:002012-02-20T19:05:55.401-08:00सवाई सिंह शेखावत हमारे महत्वपूर्ण कवि हैं.विविधता ...सवाई सिंह शेखावत हमारे महत्वपूर्ण कवि हैं.विविधता और रंग, विषय में भी तो भाषा में भी ;उनकी ताकत हैं.आशुतोषजी ने एकदम सही लिखा कि"कविताओं में एक सुलझे हुए बुजुर्ग की सादगी , समझदारी और तजर्बे के तासीर है."हाँ..... मैं न थकूं आदमी के होने से...कहता कवि नहीं थकेगा,यह बात उनकी कविता को चाहने वाला पाठक यकीनन जानता हैं.हरीश करमचंदाणीhttps://www.blogger.com/profile/07560678438638512429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-38774579271068849382012-02-06T10:15:05.183-08:002012-02-06T10:15:05.183-08:00सवाई सिंह शेखावत हमारे महत्वपूर्ण कवि हैं.विविधता ...सवाई सिंह शेखावत हमारे महत्वपूर्ण कवि हैं.विविधता और रंग विषय में भी तो भाषा में भी ;उनकी ताकत हैं.आशुतोषजी ने एकदम सही लिखा कि"कविताओं में एक सुलझे हुए बुजुर्ग की सादगी , समझदारी और तजर्बे के तासीर है."हाँ..... मैं न थकूं आदमी के होने से...कहता कवि नहीं थकेगा,यह बात उनकी कविता को चाहने वाला पाठक यकीनन जानता हैं.हरीश करमचंदाणीhttps://www.blogger.com/profile/07560678438638512429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-19149284999710543352012-02-06T05:58:33.075-08:002012-02-06T05:58:33.075-08:00कविताओं में एक सुलझे हुए बुजुर्ग की सादगी , समझदार...कविताओं में एक सुलझे हुए बुजुर्ग की सादगी , समझदारी और तजर्बे के तासीर है.<br />'' 'हम शामिल होते हैं शब्दों के पतन में/<br />बिना किसी खेद के' . 'हम सुनते हैं मतलब की यारी की'<br />जबरे की सुनते हैं या जरदारी की' 'एक कवि को पुराने जूतों की तरह/<br />आत्मीय और उदार होना चाहिए' 'हज़रत निजामुद्दीन औलिया ने<br />फ़रमाया था-‘अभी दूर है दिल्ली’/<br />मुझे मालूम नहीं कोई पहुँचा या नहीं/<br />जो रवाना हुए थे दिल्ली के लिए'....यादगार पंक्तियाँ हैं. आप का आभार.आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-27985748700342346242012-02-02T16:37:07.001-08:002012-02-02T16:37:07.001-08:00नर्म मुलायम आवाज़ों को तवज्जो नहीं देते
जीवन की को...नर्म मुलायम आवाज़ों को तवज्जो नहीं देते<br />जीवन की कोमल तानों को अनसुना करते हैं<br />जब कि मानुष होने के लिए<br />उनका सुना जाना ज़्यादा ज़रुरी है<br /><br />बेहतरीन रचनाएं पढ़ने को मिलीं ...आभारVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.com