tag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post1222726491103771213..comments2023-06-06T09:22:06.996-07:00Comments on सोची-समझी: सिद्धेश्वर सिंह की दो कविताएंमोहन श्रोत्रियhttp://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-63645666798810452612012-03-12T09:41:10.048-07:002012-03-12T09:41:10.048-07:00सटीक और अच्छी कवितायें है ...सटीक और अच्छी कवितायें है ...bikharemotihttps://www.blogger.com/profile/00943766989921151543noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-34285164185776711232012-03-11T03:54:50.743-07:002012-03-11T03:54:50.743-07:00अद्भुत कवितायेँ हैं. पहली कविता बहुत गहरे स्पर्श क...अद्भुत कवितायेँ हैं. पहली कविता बहुत गहरे स्पर्श करती है.शेयर करने के लिए आभार.Basanthttps://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-16677360756630623242012-03-09T23:25:27.356-08:002012-03-09T23:25:27.356-08:00siddheshwar ji ki kavitayen gahre tak utarti hain ...siddheshwar ji ki kavitayen gahre tak utarti hain aur tik jaati hain.. bhav bahut spasht roop se sampreshit hota hai.. aur bhigo deta hai.. badhai siddheshwar ji.. abhar sir..लीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-61477049966890519462012-03-07T17:48:13.069-08:002012-03-07T17:48:13.069-08:00समझ ले दुनिया के सात देश.....इस वर्ष तेरी ही चिंता...समझ ले दुनिया के सात देश.....इस वर्ष तेरी ही चिंता में डूबे हुए हैं... क्या करूँ मैं?? क्या कर रहे हैं आप?? कविता सच में सोचने को विवश करती है.. और निकलती है तो सिर्फ एक प्रार्थना..कृप्या बेटियों को बचाएं..! कवि को हार्दिक बधाई!! मोहनजी का हार्दिक आभार!!Vipulhttps://www.blogger.com/profile/11560013974090733493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-76915282348044111382012-03-07T00:31:34.313-08:002012-03-07T00:31:34.313-08:00आभार इस प्रस्तुति के लिए!आभार इस प्रस्तुति के लिए!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-37951448615879915732012-03-06T19:22:25.483-08:002012-03-06T19:22:25.483-08:00प्रभावशाली प्रस्तुति ! एक धार में बहता हुआ व्यंग !...प्रभावशाली प्रस्तुति ! एक धार में बहता हुआ व्यंग !सिद्धेश्वर जी को बधाई ,और आपका आभार !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-18808848041635673242012-03-06T16:07:04.944-08:002012-03-06T16:07:04.944-08:00सच को इतने मार्मिक अंदाज़ में उधेडती है ये कवितायें...सच को इतने मार्मिक अंदाज़ में उधेडती है ये कवितायें कि खुद अपने होने पर शर्म आ जाती है..अन्दर तक भेदते है शब्द...शुक्रिया आपका...Shamshad Elahee "Shams"https://www.blogger.com/profile/14542269543461516533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-58787747108383755122012-03-06T08:40:13.054-08:002012-03-06T08:40:13.054-08:00पहली कविता 'बालिका वर्ष' में एक शब्द के हि...पहली कविता 'बालिका वर्ष' में एक शब्द के हिज्जे ग़लत हो गए हैं, उस पंक्ति को ऐसे पढ़ें..."अपने चेहरे की तरह चमका दे घर के सारे बासन"मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-63783273337363538962012-03-06T06:37:43.225-08:002012-03-06T06:37:43.225-08:00ठीक अवसर पर सटीक कविताएँ. चयन की इस दृष्टि को सलाम...ठीक अवसर पर सटीक कविताएँ. चयन की इस दृष्टि को सलाम. सिद्धेश्वर भाई के पास कविता के कई रंग हैं.arun dev https://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-511904457570555760.post-2583622666407435152012-03-06T04:50:59.066-08:002012-03-06T04:50:59.066-08:00रास्ट्रीय व् अंतर राष्ट्रीय नवतर योजनाओके बावजूद ह...रास्ट्रीय व् अंतर राष्ट्रीय नवतर योजनाओके बावजूद हमारी बिट्टो , स्त्री खुश है ऐसा जब हम मान सके..क्यूंकि ये केवल बिट्टो की बात नहीं है. मुजे तो लगता है कब हमारी बिट्टो छुई मुई ओस से बदलेगी.. और खल खल बहता धरा बन जाये.. अपनी ही आभासे मंड जाये..kalihttps://www.blogger.com/profile/15094274510919394522noreply@blogger.com